राजकीय

कश्मीर आतंक का केंद्र बिंदु ना रहेगा

कश्यप से बना काश्मीर,’श्री’ का ही तो है ये नगर
शंकराचार्य के स्पर्श से यहा, हिंदु तत्व का है यहां जागर ॥

नंदनवन निसर्ग का यह, स्वर्ग से भी है सुंदर
शांतिप्रिय बुद्ध की धरा  पावन, सूफी संतों का है सम आदर ॥

शीश समर्पण करनेवालें, गुरु की ‘तेग’ है  ‘बहादुर’ ।
श्रीनगर से लाहोर तक, ‘रण-जीत ‘ ने वाले ही है शेर ॥

स्वतंत्रता है भारत की यशोगाथा, मात्र विभाजन से है यहां दूरी ।
काश्मीर है तो उन्नत  माथा, बिना यह कहानी है अधुरी  ॥

ना यह भूभाग की लड़ाई, आतंक से मुक्ति यह अर्थ है   ।
इंसानियत का सही दायरा, समझे बिना बात व्यर्थ  है ॥

आतंकपीडित दुनिया का, कश्मीर केंद्र बिंदु ना रहेगा
गंगा जमना तेहजीब में तो, पानी तो सिंधु का ही बहेगा ॥

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नवविवाहित दांपत्याच्या स्वप्नांना अलगद उलगडत संसार सजवणारा दहा कवितांचा संग्रह आहे …. सुखचित्र नवे

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