दुर्गा पूजन होने दो:-

भडक उठी अब सीमाएं, दुर्गा पूजन होने दो
दशहरे को दशानन का दहन होने दो ।
छल कपट से सीता का अपहरण न होने दो
विजयपताका श्रीराम की आसमान में फडकने दो ।
कालसर्प यमुना में बसा, विषवमन न होने दो
उस सर्प के सर पर क्रुष्ण का नर्तन होने दो ।
अज्ञातवास की प्रतिज्ञा आज पूर्ण होने दो
वस्त्रहरण की आग बुझाने, शस्त्रपूजन होने दो ।
चाणक्य चंद्रगुप्त की युक्तिशक्ति का संगम होने दो
वीर शिवाजी के हाथों शत्रु का मर्दन होने दो ।
‘मंगल’ के शोले से अमंगल हटने दो
जालियावाला नराधमों पर हावी उधम होने दो ।
पठानकोट हो या उरी, अब सहन न होने दो
सक्षमता का परिचय दिलाने, पुनश्च हवन होने दो ।:-