नया भारत नयी चेतना:-

बुझा राजदीप अब न बरसे बरखा
सागरिका का अभी घोष नही है
पुरस्कार वापसी का भांडा फूटा
जोश गया अब होश भी नही है
नवज्योत ना हुई प्रज्वलित
दिग्विजय भी हुआ पराजित
देख कन्हैया न होंगे टुकडे
यादव युद्ध का हुआ है अंत
समझो सारे जहा से अच्छी
इशरत जहा कभी नही है
बाटला को देख बटो मत आसू
बालाकोट का रास्ता सही है
तीसरी आंख खुली शंकर की
मणी आज भस्मित हो गया
सीमापार छुपा मसुद अचानक
बदलाव से विस्मित हो गया
त्याग कर दी हमने माया ममता
मेहबूबा से भी मुक्ती मिली है
विश्वनाथ केदारनाथ के आशिष से
हमे नयी शक्ती मिली है
न यह व्यक्तियों का पराजय
दुष्प्रवृत्तीयों का विनाश है
नया भारत यह नयी चेतना
नयी सुबह नया प्रकाश है:-