
प्रकृति केहै विविध रूप, सत्य यह चिरंतन है
उस विविधता मे ईश्वरदर्शन यही सत्य सनातन है
आसमां छूते पर्वत महादेव का धाम है
सागर मे तैरेते पत्थर श्रीराम का नाम है
पशुपक्षी देवता है देवतांओं के वाहन है
पत्र पुष्प फल जल पूजा के पवित्र साधन है
चर ईश्वर अचर ईश्वर कृष्ण की लीला सुंदर
नृत्य ईश्वर संगीत ईश्वर बासुरी के स्वर मधुर
नारी ही लक्ष्मी का रूप नारायण है हर नर
राधा एक एक बाला हर बालक एक मोहन है
उस सत्य की और चल पडे वही जीवन है
ग्रहों का भ्रमण मीलन नदियों का भी संगम है
भाव शरण नामस्मरण प्रकृती का नमन है
यही समुद्रमंथन है यही अमृत कुंभ पावन है
यावर आपले मत नोंदवा