कश्यप से बना काश्मीर,’श्री’ का ही तो है ये नगर
शंकराचार्य के स्पर्श से यहा, हिंदु तत्व का है यहां जागर ॥

नंदनवन निसर्ग का यह, स्वर्ग से भी है सुंदर
शांतिप्रिय बुद्ध की धरा  पावन, सूफी संतों का है सम आदर ॥

शीश समर्पण करनेवालें, गुरु की ‘तेग’ है  ‘बहादुर’ ।
श्रीनगर से लाहोर तक, ‘रण-जीत ‘ ने वाले ही है शेर ॥

स्वतंत्रता है भारत की यशोगाथा, मात्र विभाजन से है यहां दूरी ।
काश्मीर है तो उन्नत  माथा, बिना यह कहानी है अधुरी  ॥

ना यह भूभाग की लड़ाई, आतंक से मुक्ति यह अर्थ है   ।
इंसानियत का सही दायरा, समझे बिना बात व्यर्थ  है ॥

आतंकपीडित दुनिया का, कश्मीर केंद्र बिंदु ना रहेगा
गंगा जमना तेहजीब में तो, पानी तो सिंधु का ही बहेगा ॥

यावर आपले मत नोंदवा

नमस्कार,

 माझ्या ब्लॉगला भेट दिल्याबद्दल धन्यवाद. आपल्या भोवती घडणाऱ्या घटनातून, अनुभवातून आपल्या सर्वांच्या मनात अनेक पडसाद, भावना उमटतात. त्या फक्त शब्दबद्ध करणे हा अल्पसा प्रयत्न आहे.  या प्रवासात आपण सहप्रवासी आहात याचा आनंद आहे. आपण आपली प्रतिक्रिया ब्लॉगवर जरूर नोंदवा.

नवविवाहित दांपत्याच्या स्वप्नांना अलगद उलगडत संसार सजवणारा दहा कवितांचा संग्रह आहे …. सुखचित्र नवे

.https://books2read.com/u/31AkzD