
क्रेडिट दो मुझे क्रेडिट दो
चांद्रयान सफल हुआ मुझे दुवा दो…
वह मेरे प्रांत का वह मेरे जाति का
वह मेरे पक्ष का वह मेरे नीती का
ज्ञान न मुझे गती का ना भूमिती का
फिर भी पुष्पगुच्छ माला मुझे दो…
ज्ञानी करता है कर्म न देखता कोई फल
दानी करता आहे धर्म निश्चय भी अविचल
दोनो नही करता पंछी वह है चंचल
पिंजडे मे शोर करता मुझे गाने दो…
जानती जनता क्या है तेरी औकात
दो कवडे की नही है तेरी किंमत
हौसला जिसका होता है बडा
कहता क्रेडिट छोडो मुझे आसमा छूने दो…
यावर आपले मत नोंदवा