0
निर्भया के दोषियों का अंत हो गया
आज रावण का दहन हो गया
मायावी राक्षस म्रुग भी कांचन
मानव अधिकार नाम से करती रुदन
कानून के जानकार व्यर्थ विद्वान
मायाजाल शब्दों का ध्वस्त हो गया
अगणित बालाएं बहने प्रतिदिन
सहन करती है नित्य उत्पीडन
न्याय मांगती माताएं भटकंती वन वन
आशा की ज्योती का जागर हो गया
बंदिवान जानकी प्रतिक्षित नयन
होगा कब दशानन का हनन
धरतीमाता न करेगी अब सहन
जल्लाद के रूप मे राम प्रकट हो गया
यावर आपले मत नोंदवा