स्वार्थ लोभ मोह मत्सर

क्षुद्र भाव अति अहंकार

साथ है आतंक असुर 

निकल पडे देश के गद्दार 

होगा शिवताण्डव फिर एक बार

जवानों पर फेके ये पत्थर

आतंकियों के समर्थक निरंतर

जन्मभूमि जननी के सौदागर

फैलने चले पुनश्च अंधकार 

होगा शिवताण्डव फिर एक बार

जात पात के ही जाने समीकरण 

भ्रष्टाचार से लिप्त सारा जीवन

बदलाव देखकर हो ये बेचैन

करने चले जनतंत्र पर ही प्रहार 

 होगा शिवताण्डव फिर एक बार

आओ दुष्टशक्तिऔं  साथ मिलकर 

करो सरल या छुपे जितने वार

 उतना ही बढे निश्चय  निर्धार 

करने आपका एकसाथ संहार

होगा शिवताणडव फिर एक बार 

 गद्दारों की होगी वापसी

रानी अब देगी झांसी 

भारतमाता बनेगी दासी

पद्मावती करेगी कभी जोहर

होगा शिवताण्डव फिर एक बार

छू भी सके शिवधनुष जो तुम

टूटेगा  अब गर्जना हो भयंकर

धरती कन्याओं का पुन: स्वयंवर 

मुक्त धरणी मुक्त हो अंबर 

गूंज उठेगी विश्व गगन में

माता की ही जयजयकार

होगा शिवताण्डव फिर एक बार

 

 

 

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नमस्कार,

 माझ्या ब्लॉगला भेट दिल्याबद्दल धन्यवाद. आपल्या भोवती घडणाऱ्या घटनातून, अनुभवातून आपल्या सर्वांच्या मनात अनेक पडसाद, भावना उमटतात. त्या फक्त शब्दबद्ध करणे हा अल्पसा प्रयत्न आहे.  या प्रवासात आपण सहप्रवासी आहात याचा आनंद आहे. आपण आपली प्रतिक्रिया ब्लॉगवर जरूर नोंदवा.

नवविवाहित दांपत्याच्या स्वप्नांना अलगद उलगडत संसार सजवणारा दहा कवितांचा संग्रह आहे …. सुखचित्र नवे

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