This poem is to show contrast between name and character on the background of India Pakistan strained relations on surgical attacks.
केवल नाम से कुछ नहीं होता
नरेंद्र कभी चाय न बेचता
अरविंद कमल के खिलाफ न होता
अनुपम निरुपम में मनभेद न होता
केवल नाम से कुछ नहीं होता
स्वराज का ऐलान हो
या स्वराज का अभियान हो
युनो में आतंक संवाद न होता
अगर स्वराज स्वराज में अंतर न होता
पाक भूमी में नापाक काम न होता
हाफिज निष्पापों का रक्षक हो जाता
शरीफों का राज बदमाष न होता
केवल नाम से कुछ नही होता ।
यावर आपले मत नोंदवा