विश्व की पाठंशाला से ध्यान मेरा हट गया

विश्व की पाठंशाला से ध्यान मेरा हट गया
ज्ञान सारा जीवन का व्हाट्स अप में ही बट गया ।
क्रुष्ण की लीला हो या गीता का सार हो
क्रांति की ज्वाला हो या गांधी विचार हो
माता की वेदना हो या शिशु संवेदना हो
अर्थ गहन सारा चंद शब्दों नें सिमट गया ।
परिवार का प्यार हो या जन्मदिन उपहार हो
अभिव्यक्ति शुभचिंतन एक व्यवहार हो
माधुर्य बिना नाद हो या सौेदर्य बिना श्रुंगार हो
सुखसंवाद परस्पर मेसेज से ही टूट गया ।
अभिनेत्री का पुत्र हो या अभिनेता का चरित्र हो
नर्तिका के हिप्स हो या डेटिंग के टिप्स हो
वायरल सब क्लिप्स हो और जादा क्लिक्स हो
आनंद अनुभूति का, अब मार्केट में बिक गया ।
घड़वु अमुचा समर्थ भारत