कोरोना से बेहाल
दिखाया आपने सिंगापूर का सपना
शांघाय बनायेंगे यहा हम अपना
चोबीस घंटे चलायेंगे शॉपिंग मॉल
सुख-समृद्धी का बनायेंगे माहोल
मद्य की बहायेंगे हम नदिया
डूबते उसमें परिवार और माया
डान्स बार मे ठुमकती नर्तकिया
सजती अमिरों की सुख और शय्या
नशापानी करके चलती है गाडिया
कुचलती है गरिबो कि जिंदगीया
फिर भी बसती जगह जगह झूग्गिया
नष्ट करके तालाब और नदिया
उखाड देते प्रतिदिन हम पेड
न मानते हम कोई सी आर झेड
आसमान छूती बनती इमारते
पहुचे या ना पहुचे फायर ब्रिगेड
बारिश मे डूबते रास्ते सारे
गिरती इमारते सोते बिना सहारे
रोजगार बिना रहे कैसे बेचारे
दो दिन का खेल फिर वही नारे
आसमान से दिखता सुंदर चेहरा
दिया तले फैला सब अंधेरा
कृत्रिम जलऑक्सिजन कृत्रिम प्रकाश
कृत्रिम जीवन अंतरात्मा का विनाश
निसर्ग का संतुलन हमने खोया
छिपा व्हायरस जब बाहर आया
अहंकार करोडो का आज टूट गया
दिखावे की मिट गई अब दुनिया
अंधे और धंदे का ना रहा फरक
बनाने चले स्वर्ग बन गया नरक